Thursday 29 December 2016

भाभी जी नोटबंदी के समर्थन में !

29 दिसंबर, 2016

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने पिछले महीने 8 नवम्बर, 2016 की रात्रि में एक अभूतपूर्व निर्णय लिया। उस रात 12 बजे या फिर यूँ कहिये कि 9 नवम्बर, 2016 के जीरो ऑवर से 500 और 1000 रुपये के प्रचलित नोट को बंद करने की घोषणा की। जिसने सुना वही सन्न रह गया। इसकी आलोचना और प्रशंसा अभी तक चल रही है। लगभग पूरा देश ही इसके समर्थन और विरोध में बँट सा गया। न्यूज चैनल्स पर भी इस पर गंभीर बहस छिड़ गई। 

वैसे तो इंटरटेनमेंट चैनल्स या फिर किसी कार्यक्रम - सीरियल के प्रोड्यूसर्स को सिर्फ एडवर्टाइज से कमाई से मतलब होता है। चैनल्स सामाजिक सरोकार से लबरेज सन्देश को भी पैसा लेकर ही दिखाने के लिए चर्चित हैं। ऐसे में एक लोकप्रिय सीरियल ने भी अपनी तरफ से जन-जागरूकता दिखाने या फिर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी की भरपूर कोशिश की। &TV पर रात 10:30 बजे सोमवार से शनिवार तक एक सीरियल आता है। 

सही पकड़े हैं,  सीरियल का नाम "भाबी जी घर पर हैं" ही है। 2015 की शुरुआत में शुरू हुआ यह धारावाहिक आज अपनी लोकप्रियता के चरम पर है। सीरियल के किरदार "अंगूरी भाभी", "हप्पू सिंह", "टीका", "मलखान" आज घर घर में लोकप्रिय हैं। कुछ लोग इसको वयस्क कॉमेडी भी कहते हैं लेकिन "मनमोहन तिवारी" और "विभूति मिश्रा" की नोकझोंक सबको अच्छी लगती है। इस सीरियल ने लोगों के मनोरंजन की जिम्मेदारी तो अच्छे से उठा रखी ही है, पिछले दिनों इसने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का भी नमूना पेश किया। 

नोटबंदी की घोषणा के बाद से ही इसके एपिसोड्स में इसको लेकर जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की गई। लगभग एक हफ्ते तक इसकी कहानी में नोटबंदी ही छाया रहा। इसके किरदारों ने कहानी के माध्यम से नोटबंदी के प्रति जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की। जब मनमोहन तिवारी ने झूठ बोलकर अपने काले धन को अनीता जी के माध्यम से सफ़ेद करने की कोशिश की तो अनीता जी ने उनको खूब डाँट लगाई। 

जब झूठ बोलकर हप्पू सिंह और तिवारी जी ने अपने काले धन को छापे मारी से बचाने के लिए अनीता जी के घर में छुपाने की कोशिश की तब भी उनकी एक नहीं चली। अनीता जी ने काले धन रखने पर होने वाली परेशानी के बारे में भी बताया। जब टीका और मलखान अपने पैसे बदलवाने जाते हैं तो चौकीदार ने उनको अपना पैन कार्ड लाने को कहा। 

कुल मिलाकर इस सीरियल ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। नोटबंदी कितना सफल या असफल रहा ये अलग चर्चा का विषय है। 




Wednesday 14 December 2016

मोटो G4 प्लस मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये




मोटो G4 प्लस मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 5 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके। बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Saturday 10 December 2016

जमींदार का निकम्मा लड़का

बहुत साल पहले की बात है। एक बहुत बड़ा जमींदार था। उसके पास बहुत सारी जमीन थी, बहुत सारी भेड़ -बकरियाँ थी। लेकिन बेटा बड़ा ही निकम्मा। दिन भर आवारागर्दी करता रहता। जमींदार ने सोचा कि इसकी शादी - ब्याह करवा दूँ ताकि ये संभल जायेगा। लेकिन हुआ इसका उल्टा। जमींदार का बेटा घर से ऐसा भागा कि वापस ही नहीं आया। इसके बाद उसकी बीवी भी घर छोड़ कर चली गयी, निखट्टू की आस में आखिर कब तक जिंदगी बर्बाद करती अपनी।

जमींदार की मृत्यु के बाद उसकी धन संपत्ति को सँभालने वाला कोई नहीं था, इस मारे गाँव वालों ने धीरे-धीरे उसकी धन संपत्तियों पर कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया। अकेली बुढ़िया किस किस से लड़ती, सो दम खाकर अपने साम्राज्य को लुटता हुआ देखती रही, इस आस में कि एक दिन उसका निकम्मा बेटा वापिस आएगा और बची खुची संपत्ति को संभालेगा। एक दिन हुआ भी ऐसा ही, जमींदार का निकम्मा बेटा घूमता घूमता अपने गाँव वापस आ गया।

जमींदारी के नाम पर अब सिर्फ भेड़ - बकरियाँ रह गई थी। जमींदार का निकम्मा बेटा उन्ही भेड़-बकरियों को सुबह चराने ले जाता और शाम को घर वापस ले आता। लेकिन उसके निकम्मापन में कोई कमी नहीं आई। भेड़ बकरियों को चरने के लिए छोड़ कर वो या तो सो जाता या फिर दूसरे लड़कों के साथ नशे में लिप्त हो जाता। नशे की हालात में अक्सर जंगल में ऊँचे टीले पर खड़े होकर और अपनी शेखी बघारता और दूसरे चरवाहों का मजाक उड़ाता।

एक दिन जब वह ऊँचे टीले पर खड़े होकर अपनी शेखी बघार रहा था तो मौका पाकर गाँव वालों ने उसकी सारी भेड़ -बकरियाँ चुरा ली। जब शाम को घर लौटा तो साथ में भेड़ -बकरियाँ न पाकर उसकी माँ ने उसको खूब डाँट लगाई और अपनी किस्मत को कोसा। दूसरे दिन वह जंगल में ऊँचे टीले पर जाकर खड़ा हो गया और जोर जोर से गाँव वालों को आवाज़ें लगाने लगा। गाँव वालों ने सोचा कि शायद कोई जंगली जानवर इसको पकड़ने की कोशिश कर रहा है। सुनते ही सभी दौड़कर टीले के पास पहुँचे। उनके पहुँचते ही निकम्मा किसी मंजे हुए नेता की तरह गाँव वालों को संबोधित करने लगा।

"भाइयों और बहनो, मुझे पता है कि मेरी भेड़ -बकरियाँ तुममे से किसी ने या कुछ लोगों ने चुराई है। मैं आज शाम तक का समय देता हूँ। तुमलोग चुपचाप मेरी सारी भेड़ -बकरियाँ वापस कर दो। तुम लोगों को कुछ नहीं कहूँगा।" गाँव वालों ने निकम्मे की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और गाँव में वापस आकर अपने काम पर लग गए। दिन भर इंतज़ार करने के बाद जब शाम को घर पहुँचा माँ ने कल से दोगुनी ज्यादा डाँट लगाई। दूसरे दिन फिर सुबह सुबह जमींदार का बेटा जंगल में ऊँचे टीले पर जाकर खड़ा होकर फिर से गाँव वालों को जोर जोर से आवाज़ें लगाने लगा।

गाँव वाले फिर से भागे भागे पहुंचे। वह फिर शुरू हो गया। "भाइयों और बहनो, तुमलोगों ने मेरी भेड़ -बकरियाँ अभी तक वापस नहीं की। मैं आज शाम तक का समय देता हूँ। तुमलोग चाहो तो आधी भेड़ -बकरियाँ अपने पास रख लो लेकिन आधी भेड़ -बकरियाँ वापस कर दो। मैं तुम लोगों को कुछ नहीं कहूँगा।" लेकिन गाँव वालों ने उसकी बात पर कान नहीं दिया और वापस आकर अपने काम में लग गए। शाम तक किसी ने भी एक भी भेड़ या बकरी वापस नहीं की। शाम को घर लौटने पर माँ ने फिर से उसकी अच्छी तरह खबर ली।

दूसरे दिन सुबह फिर से जंगल में ऊँचे टीले पर खड़ा होकर आवाज लगाने लगा। गाँव वालों के आने पर उनको संबोधित करते हुए बोला। "भाइयों और बहनो, तुमलोगों ने मेरी भेड़ -बकरियाँ अभी तक वापस नहीं की। मैं आज शाम तक का समय देता हूँ। तुमलोग चाहो तो तीन चौथाई भेड़ -बकरियाँ अपने पास रख लो लेकिन एक चौथाई भेड़ -बकरियाँ वापस कर दो। मैं तुम लोगों को कुछ नहीं कहूँगा।" गाँव वालों ने फिर से अनसुना कर दिया। लेकिन जमींदार का लड़का टीले से नहीं उतरा। शाम की मियाद ख़त्म होते ही उसने फिर से जोर जोर से गाँव वालों को आवाज लगाना शुरू कर दिया।

पहले तो गाँव वाले उसकी आवाज़ को बहुत देर तक अनसुना करते रहे। लेकिन जब वह चुप नहीं हुआ तो एक बार फिर सब लोग ऊँचे टीले के पास पहुँचे। जमींदार के लड़के ने बोलना शुरू किया। इस बार उसकी आवाज़ में कड़कपन था। बोला, "भाइयों और बहनो, तुमलोगों ने मेरी एक चौथाई भेड़ -बकरियाँ भी अभी तक वापस नहीं की। अब तुम सब की मोहलत और रियायत ख़त्म। अब मैं कल सुबह वो करके दिखाऊंगा, जो तुम लोगों ने आज तक नहीं देखी होगी। कल मैं वही करूँगा जो मैंने आज से 40 साल पहले किया था, जब शहर में किसी ने मेरी साईकिल चुरा ली थी लेकिन मेरे बार-बार कहने पर भी वापस नहीं की थी।

इतना सुनना था कि गाँव वाले बुरी तरह घबरा गए। बिलकुल बदहवास हो गए। भागे भागे गाँव गए। सबने आपस में मशविरा किया कि पता नहीं ये निकम्मा कल सुबह क्या करे। पता नहीं क्या किया था इसने 40 साल पहले जब शहर में इसकी साइकल चोरी हो गई थी। कोई मुसीबत मोल लेने से अच्छा है कि इसकी भेड़-बकरियाँ ही वापस कर दी जाए। इतना तय कर सब लोग भेड़ बकरियों के साथ जंगल में ऊँचे टीले के पास पहुँचे और माफी माँगते हुए, जमींदार के लड़के को उसकी सारी भेड़ -बकरियाँ वापस सौंप दी। जमींदार का लड़का विजयी मुस्कान छोड़ते हुए गाँव वालों की तरफ देखा।

गाँव वाले एक दूसरे की तरफ देखने लगे। सब के मन में एक सवाल था लेकिन पूछने की हिम्मत किसी में नहीं थी। बहुत हिम्मत करके गाँव के सबसे बुजुर्ग ने पुछा, "बेटा हमने तुम्हारी भेड़ -बकरियाँ वापस कर दी। हम लोग बहुत शर्मिंदा भी हैं। बेटा बुरा न मानो तो एक बात पूछुं ? तुमने ऐसा क्या किया था जब तुम्हारी साईकिल चोरी हो गई थी 40 साल पहले ? " जमींदार का लड़का बोला, "क्या करता चाचा ? मैंने दूसरी साईकिल खरीद ली थी।"

Monday 28 November 2016

माँ का आँचल, सर्वोत्तम सुरक्षा कवच

पिछले दिनों अपने दोस्त के परचून की दुकान पर बैठ कर उससे गप्पे लड़ा रहा था। उसकी दुकान पर बच्चों के खाने की चीजें जैसे विभिन्न प्रकार के टॉफी, चॉकलेट और बिस्कुट मिलते हैं। इसलिए उसके ग्राहकों में ज्यादातर बच्चे ही होते हैं। उस दिन 2 - 3 साल का एक छोटा बच्चा आया और बाहर दुकान के दरवाजे पर चिपके पोस्टर पर हाथ रख कर वही टॉफी देने के लिए बोला जिसकी तस्वीर उस पोस्टर पर थी। दोस्त ने बताया कि ये ख़त्म हो गया है, "कल" ले लेना। बच्चा बोला आज ही तो "कल" है। 

फिर दोस्त  को याद आया कि यही बच्चा कल शाम को भी आया था इसी टॉफी के लिए तो दोस्त ने कहा था कि "कल" ले लेना, आज ख़त्म हो गया है। अब बच्चे को क्या जवाब दे। उसने सम्भलते हुए जवाब दिया, अभी तो सुबह है न, शाम को बाजार जाऊंगा तो लेता आऊंगा। इतना सुनने के बाद बच्चा चला गया लेकिन थोड़ी ही देर के बाद पुनः वापस आया एक रुपये का सिक्का लेके और बोला दूसरी टॉफी दे दीजिए। मेरे दोस्त ने 1 रुपये वाली बहुत सी टॉफियाँ दिखाई लेकिन बच्चे को एक भी पसंद नहीं आई। बच्चा बोला कि लॉलीपॉप दीजिये। 

दोस्त ने कहा, लॉलीपॉप 5 रुपये का आता है, और पैसे ले आओ। बच्चा बोला, "मम्मी इतना ही दी है, आप लॉलीपॉप दीजिए"। दोस्त ने कहा कि घर जाओ और मम्मी से 5 रुपये ले आओ। बच्चा बोला कि मम्मी और रुपये नहीं देगी, इसी में दीजिए। अब दोस्त सोचने लगा कि अगर 5 रुपये की लॉलीपॉप 1 रुपये में देता हूँ तो सीधे-सीधे 4 रुपये का घाटा होता है। लेकिन बच्चे की मासूमियत देखते हुए उसको निराश भी नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने 2 रुपये वाला लॉलीपॉप निकाला और बच्चे की तरफ बढ़ाया। 

लेकिन अबोध बालक समझ गया कि उसके साथ धोखा हो रहा है। उसने कहा कि ये नहीं, और 5 रुपये वाली लॉलीपॉप की तरफ इशारा करके बोला वो वाला दीजिए। अब दोस्त क्या करे, समझ नहीं पा रहा था कि बच्चे को कैसे समझाए। बच्चा 1 रुपये में 5 रुपये वाली लॉलीपॉप लेने की जिद पर अड़ा हुआ था। इसीलिए कोई चारा न पाकर दोस्त ने बच्चे से कहा कि पूरे 5 रुपये लाओगे तभी मिलेगा ये लॉलीपॉप। इतना सुनना था कि बच्चा बोला, "मम्मी को बोल दूँगा" और कहते हुए थोड़ा रुआंसा भी हो गया। 

"मम्मी को बोल दूंगा" कहते-कहते सुबकने भी लगा। अब दोस्त ने घाटे की परवाह नहीं करते हुए 5 रुपये वाली लॉलीपॉप निकाली और बच्चे को दे दिया। बच्चा भी मुस्कुराते हुए हाथ में 1 रुपये दिए और ख़ुशी-ख़ुशी चला गया। प्रसंग तो ख़त्म हो गया लेकिन मैं सोचने लगा। मुझे अपने बचपन के दिन याद आने लगे। बचपन में हमें भी हमारी माता जी सबसे बड़ी तारणहार लगती थी। जब भी हमें लगता था कि हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है तो हम भी झट से सामने वाले को धमकाते थे कि मम्मी को बोल दूँगा। 

इसका वाक्य का असर भी होता था, सामने वाला डर जाता था और हमारे साथ कुछ गलत करने की हिम्मत नहीं करता था। जब कभी कोई हमें पीटने के लिए दौड़ता था या फिर हम कुछ शरारत करते थे तो हम झट से भागकर माँ के पास पहुँच जाते थे, माँ के पीछे या फिर उनके आँचल में छुप जाते थे। माँ हमेशा ही हमारा पक्ष लेती थी, हमारा बचाव करती थी। हमें लगता था कि माँ हमें हर मुसीबत से बचा लेगी, और बचाती भी थी। चाहे पिताजी का गुस्सा हो या मास्टर जी की डाँट, माताजी हमेशा बचाती थी। 

सच में, माँ की ममता अनमोल है, माँ का आँचल सर्वोत्तम सुरक्षा कवच है। 

Friday 25 November 2016

मुबारकवाद दीजिए, ATM से नोट निकलवा आया हूँ।

26, नवम्बर, 2016

कई दिन हो गए, 500 और 1000 रुपयों के पुराने नोट अमान्य घोषित हुए। उसके दूसरे दिन ही बैंक और एटीएम बंद कर दिए गए, एटीएम तो तीसरे दिन भी बंद थे। अब जिनके पास 500 और 1000 रुपयों के नोट थे उनके बीच नोट बदलने या फिर बैंक से पैसे निकालने की अफरा-तफरी हो गयी। लगने लगी लंबी लंबी लाइनें एटीएम और बैंको के बाहर। ऐसा लग रहा था मानो रुपये मुफ्त मिल रहे हों। एक मेला सा लग रहा था ऐसी जगहों पर। 

ज्योहीं कोई एटीएम ख़राब होता या फिर उसमें रकम ख़त्म हो जाता, झट से लोग भाग पड़ते दूसरी जगह। ऐसे में हम कैसे इससे अप्रभावित हो सकते थे। 4-5 नोट हमारे पास भी थे ऐसे, सो हम भी पहुँच गए पास के एक बैंक में जमा करवाने। बैंक में भीड़ बहुत ज्यादा लगी मुझे। फॉर्म भर लेने के बाद देखा तो दो लाइनें पुरुषों की लगी थी और दो महिलाओं की। पुरुषों की दोनों लाइनों में 30 - 30 लोग लगे रहे होंगे। 10-15 मिनट के इंतजार के बाद भी जब लाइन आगे नहीं खिसकी तो हमने सोचा कि आज पहले ही दिन इतनी भीड़ है तो कल से तो और कम होगी। 
सो हमने बुद्धिमानी से काम लिया और अगले दिन आने का निश्चय करके लाइन से अलग हो गए और घर आ गए। दूसरे दिन सोचा कि आज जल्दी जाते हैं, टॉप 5 में रहेंगे तो हमारा काम जल्दी हो जाएगा। लेकिन जब बैंक पहुंचे तो देखा, लाइन बैंक बिल्डिंग के कैम्पस के मुख्य द्वार पर पहुँच चुकी है। अब हमने फिर दिमाग से काम लिया और नोट बदलवाने की सोची। इसके बाद लगाने लगे चक्कर बैंको के ताकि जिधर सबसे छोटी लाइन हो उधर ही खड़े हो जाएँ। लेकिन अफ़सोस, हर जगह पहले से ज्यादा ही लंबी लाइन दिखी। 

अभी तक घर में रखे कैश भी दाल चावल चीनी सब्जी आदि खरीदने में ख़त्म हो चुके थे। सो अब हमने निश्चय किया कि अब बैंको के चक्कर लगाने में समय नष्ट न करेंगे और एटीएम से पैसे निकाल लेंगे। एक दिन में 2000 रुपए तो निकाले ही जा सकते हैं। अब लगे एटीएम के चक्कर लगाने, लेकिन हर जगह बैंको से भी दोगुनी या तीनगुनी ज्यादा लंबी लाइन दिखी। हमने एक बार फिर दिमाग से काम लिया और अगले दिन सुबह ही सुबह नजदीक के एटीएम जाने का निश्चय किया। 9:30 बजे सुबह लाइन में लगे, 20 - 25 लोग हमसे पहले थे। ठीक 11:00 बजे हम 100-100 के बीस नोट निकाल के विजयी मुस्कान के साथ एटीएम से निकले। 

कसम, से ऐसी फीलिंग आ रही थी, मानो कोई बहुत बड़ी जंग जीत ली हो। चेहरे से मुस्कान छिपे नहीं छिप रही थी, एक नया और अनोखा अनुभव जो पा चूका था।

Wednesday 16 November 2016

तो ये है सोनम गुप्ता के बेवफा होने की कहानी ?

कल से ही सोशल मीडिया में 10 और 2000 रुपये के नोट की फोटो शेयर की जा रही है जिस पर लिखा है "सोनम गुप्ता बेवफा है"। किसी लड़की का नाम इस तरह से बदनाम करना बिलकुल गलत है। इस के दोषी पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। नोटों को विरूपित करने का मामला भी दर्ज होना चाहिए। ताकि कोई भविष्य में इस तरह की हरकत न करे।

इसी बीच कुछ लोगों ने अपनी कल्पनाशीलता का परिचय देते हुए कुछ मनगढन्त कहानियाँ भी सोशल मीडिया में शेयर करनी शुरू कर दी है। जिसमें से एक निम्न प्रकार से है।  

बहुत पहले की बात है, राजू और सोनम गुप्ता एक ही बस में सफर कर रहे थे। कंडेक्टर से टिकट लिया, उसके पास छुट्टे नही थे। 20 का नोट था और सोनम और राजू दोनों को ही 10-10/- लौटाने थे। सोनम और राजू दोनों का स्टॉपेज एक ही था, बस कंडेक्टर राजू को 20 का नोट दिया और बोला, "भाई ये ले, जब स्टॉप पर उतरे तो मैडम को खुले करा के 10/- दे दियो और अपने10/- रख लियो।" 

जब सोनम को ये बात पता चली तो वो राजू को देख मुस्कुरायी। राजू के मन में लड्डू फूटने लगे। उसने बातो ही बातों में सोनम से उसका नाम पूछा, वो कहाँ जायेगी ये पूछा और भी थोड़ी इंफॉर्मेशन मांगी और फिर आँख बंद करके सोनम के साथ सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगा। सपने देखते देखते कब स्टॉप आ गया उसे पता ही नही लगा। वो सपने देखते रहा। 

इतने में सोनम भी उससे अपने छुट्टे पैसे लेना भूल चुकी थी। जैसे ही स्टॉप आया, सोनम, जो कि पहले ही बस के गेट पर पहुच चुकी थी, वो उतर गयी, इसी बीच राजू को भी अहसास हुआ कि स्टॉप आ गया है तो वो उठा और दौड़ते हुए गेट पर पहुंचा, उसकी नज़र चारो और बस सोनम को ढूंढ रही थीं। जब तक वह गेट पर पहुंचा बस हल्की हल्की चल पड़ी थी, वह चलती बस में से कूद कर बाहर आया और सोनम गुप्ता को ढूंढने लगा। 

तभी अचानक उसकी निगाहें दूर खड़ी, किसी से हंस कर बात करती हुई सोनम पर पड़ीं। जैसे समय रुक गया हो उसका, उसने पास के एक ठेले से एक पाउच पान बहार का लिया, उसे खोल कर मुंह में डाला, और 10/- हाथ में लिए वह सोनम की और जाने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह शाहरुख़ खान हो और सोनम की ओर स्लो मोशन में भाग रहा हो। अचानक उसकी निगाह उस पर पड़ीं जिससे वह बात कर रही थी, वो एक लंबा, हैंडसम सा लड़का था, जो बार बार उसका हाथ पकड़ रहा था। 

राजू को थोड़ा गुस्सा आया वह थोड़ा तेज़ी से सोनम की ओर बढ़ने लगा, लेकिन इसी बीच सोनम उस लड़के के साथ पास खड़ी बाइक पर बैठ गयी, लड़के ने बाइक स्टार्ट की, सोनम ने उसके कमर में हाथ डाले और वह लड़का सोनम को लेकर फुर्र। अब राजू खड़ा देखता रह गया। बहुत गुस्सा आया, उसके सपने चूर चूर हो चुके थे। उसने आव देखा न ताव, हाथ में लिए 10 के नोट पर लिखा "सोनम गुप्ता बेवफा है "। उसे पास बैठे एक भिखारी को दिया और तेजी से मुंह का गुटका थूकता हुआ स्टेशन से निकल गया। 

वह बरसों सोनम से बिछड़ा तो रहा लेकिन उसे कभी भूल नही पाया। अब परसों जब वह अपने नोट बदलवा कर बैंक से निकला तो सामने अचानक से सोनम दिख गयी। सोनम गुप्ता को देखकर उसके मन के अरमान फिर से जाग गये। उसके हाथ में 2 हज़ार के दो करारे नोट थे। जैसे ही सोनम को देखा तो उसकी और जाने लगा। अचानक से फिर वही लड़का सामने था, इस बार गाड़ी में, उसके साथ बैठी और चली गयी। 

राजू को फिर गुस्सा आया और उसने 2 हज़ार के नोट पर लिखा "सोनम गुप्ता बेवफा है" और लाइन में खड़े एक लड़के से 500 के 4 नोट लेकर वो 2 हज़ार का नोट उसे देकर खुद फिर से लाइन में लग गया। 

तो यही है अपने राजू की दर्द भरी, सोनम गुप्ता के बेवफा होने की कहानी।  

(नोट : ये कहानी सोशल मीडिया में बहुत शेयर की जा रही है। इसके पात्र का किसी व्यक्ति विशेष से सम्बन्ध नहीं है। लेखक इसके मूल-लेखक होने का दावा नहीं करता। हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं है। लेख का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ विशुद्ध मनोरंजन करने के सिवा और कुछ नहीं है।)
( साभार : सोशल मीडिया )

Sunday 6 November 2016

पंजाब के उद्योगपतियों को आम आदमी पार्टी की सौगात।



पिछले महीने 16 अक्टूबर 2016 को पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 के मद्दे नजर आम आदमी पार्टी ने पंजाब के औद्योगिक विकास के लिए मेनिफेस्टो जारी किया। इसके प्रमुख अंश निम्न प्रकार से हैं।

1. व्यापार, उद्योग और ट्रांसपोर्ट क्षेत्रो को भ्रष्टाचार मुक्त किया जाएगा। इंस्पेक्टर राज और रेड राज का खात्मा किया जाएगा। गुंडा टैक्स हरगिज भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

2. टैक्स प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा। वैट और सभी टैक्स दिल्ली की तरह घटाए जायेंगे। 5 साल में टैक्स दरें सबसे कम की जाएँगी। टैक्स सम्बंधित चल रहे मामलों का एक साथ निर्णय किया जाएगा। वैट वापसी में तेजी लाई जाएगी।

3. प्रॉपर्टी कारोबार समेत सब तरह के उद्योगों के लिए मंजूरियों आदि के लिए योग्य और जिम्मेदार सिंगल विंडो की व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। आई टी समेत नए उद्योगों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाएगा।

4. औद्योगिक शहरों की घाटे में या बंद हुए उद्योग का पुनर्निर्माण, 2 साल तक टैक्स छूट एवं अन्य यत्नो के साथ निश्चित समय में की जाएगी। राज्य को छोड़ चुके उद्योगों को वापस लाने के लिए विशेष पैकेज दिया जाएगा।

5. भ्रष्टाचार ख़त्म करके एवं व्यवस्था कार्य प्रणाली में सुधार करके बिजली की दरें कम की जाएँगी। निजी प्लांटों के साथ पंजाब के हितों के विरुद्ध हुए बिजली समझौतों पर पुनर्विचार किया जाएगा। प्रदेश के लोगों पर अनावश्यक भार डालने वालों को सजा दी जाएगी।

6. वातावरण अनुकूल आई टी एवं अन्य उद्योगों को स्वीकृति देने के लिए रोपड़ में एक नया औद्योगिक शहर विशेष रियायतों के साथ स्थापित किया जाएगा और हिमाचल के साथ लगते पिछड़े हुए तटीय इलाकों में रोजगार पैदा किया जाएगा।

7. अवैध कालोनियों को नियमित करके सीवरेज समेत सभी प्राथमिक सुविधाएँ निश्चित समय के अंदर दी जाएगी।

8. रसूखदारों को फायदा देने के लिए मास्टर प्लान में की गयी छेड़-छाड़ पर पुनर्विचार किया जाएगा और एक व्यापक रीयल एस्टेट पॉलिसी बनाई जाएगी। हाउसिंग कारोबार से सम्बंधित समूहों से बातचीत करके इस कारोबार को फिर से खड़ा किया जाएगा।

9. पुड्डा, गमाडा, गलाडा, इम्प्रूवमेंट ट्रस्टों एवं म्युनिसिपल निगमों समेत सभी सरकारी एजेंसियों एवं कानून में एक समानता लाई जाएगी।

10. रेत - बजरी माफिया का पंजाब से खात्मा किया जाएगा और माइनिंग के लाइसेंस नौजवान कारोबारियों को दिए जाएँगे। अकाली - भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत से गुंडा टैक्स इकठ्ठा करने की पड़ताल विशेष जाँच टीम के द्वारा करवाई जाएगी।

11. खेती पर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग एवं अन्य उद्योगों को 10 साल तक टैक्स छूट दी जाएगी। कम से कम 80% पंजाबियों को रोजगार देने वाले कृषि उद्योगों को ब्याज रहित ऋण दिए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग, डेयरी उत्पाद, कपास और मक्का से सम्बंधित उद्योग स्थानीय कारोबारियों को रियायतें देकर लगवाए जाएंगे।

12. ट्रांसपोर्ट कारोबार को राजनीति से मुक्त किया जाएगा। आम आदमी पार्टी की सरकार, बादलों, अकाली - भाजपा नेताओं, कांग्रेसियों एवं अन्य द्वारा गलत तरीकों से हासिल किए गए बस परमिटो को छीनकर बेरोजगार नौजवानों, रिटायर्ड फौजियों, अपंग व्यक्तियों, आतंकवाद पीड़ितों एवं 1984 में सिक्खों के खिलाफ हुए हिंसा के पीड़ितों को देगी।

13. ट्रकों के कारोबार को भ्रष्टाचार मुक्त किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट अफसरों और पुलिस द्वारा की जाने वाली अनावश्यक चेकिंग की परेशानी को सरकार बनने के 2 हफ्ते के भीतर दूर किया जाएगा। ट्रक यूनियनों से राजनैतिक कंट्रोल ख़त्म किया जाएगा।

14. हैवी मोटर ड्राइविंग लाइसेंस और टैक्सी परमिट जारी करने की सुविधा हर जिले में मुहैया करवाई की जाएगी।

15. रेहड़ी-फड़ी वालों की परेशानी को रोकने के लिए हर शहर में रेहड़ी मार्किट और सप्ताहवार मंडियों के लिए जगह निश्चित की जाएगी।

16. भले ही खाद्य वस्तुओं में मिलावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन दुकानदारों की नाजायज परेशानियों रोकने के लिए नया ढांचा बनाया जाएगा। खाद्य सुरक्षा के लिए हर जिले में परीक्षण लैबोरेटीज बनाई जाएँगी।

17. धार्मिक, सांस्कृतिक एवं औद्योगिक टूरिज्म को होटलों और अन्य क्षेत्रों में टैक्स रियायत के साथ उत्साहित किया जाएगा। लुधियाना, जालंधर, अमृतसर और पटियाला में निजी हिस्सेदारी के साथ एग्जीबिशन हाल बनाए जाएँगे।

18.  महिलाओं को व्यापार में उत्साहित करने के लिए महिला व्यापारियों को 5 साल के लिए टैक्स रियायत दी जाएगी।

19.  शराब माफिया का खात्मा किया जाएगा और इसकी जगह पर सबको बराबर मौके और रोजगार देने वाला एक नया सिस्टम लाया जाएगा। शराब कारोबार में राजनीतिज्ञों एवं उनके कारिंदों का कंट्रोल ख़त्म किया जाएगा।

20. प्राइवेट कंपनियों द्वारा अकाली - भाजपा, कांग्रेसी राजनीतिज्ञों की मिलीभगत के साथ वसूले जा रहे भारी टोल टैक्स जाँच की जाएगी और इस पर पुनर्विचार किया जाएगा। हाइवे के सिवा किसी भी सड़क पर टोल प्लाजा नहीं लगाया जाएगा।

21. केंद्र की कुछ टोल प्लाजा हटाने की नीति के अन्तर्गत जालंधर - अमृतसर और रोपड़ - आनंदपुर साहिब नेशनल हाइवे के टोल प्लाजा हटाने के लिए जोर डाला जाएगा। 

Tuesday 1 November 2016

भिखारी वो हैं या हम ?

पिछले ही दिनों की बात है। किसी बीमार मित्र का कुशल - क्षेम पूछने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ा। अब दिल्ली से फरीदाबाद जाने के लिए दिल्ली मेट्रो से अच्छा साधन क्या हो सकता था, इसलिए मेट्रो से ही यात्रा प्रारम्भ की। वैसे लंबे सफर में अकेले होने पर मुझे कान में इयरफोन लगा कर एफएम पर पुराने गाने सुनकर सफर का आनंद लेने की आदत है। लेकिन गाड़ी के सुरंग में होने के कारण सिग्नल नहीं मिल रहा था, एफएम का। मजबूरन सहयात्रियों के बीच हो रहे आवश्यक-अनावश्यक वार्तालाप को कान देना पड़ा। एक सज्जन अपने मित्र से बात कर रहे थे। बातों से लग रहा था कि अपनी आपबीती सुना रहे थे। 

कहानी कुछ यूँ थी, वो साहब दिल्ली - एनसीआर में किसी बड़ी कंपनी में किसी बड़े पद पर काम करते थे। शुक्रवार की रात को ज्यादा काम की वजह से ऑफिस में देर रात तक उनको रुकना पड़ा तो ऑफिस में ही बाहर से खाना मंगवा कर खा लिया। खाना कुछ ज्यादा ही आ गया था तो उन्होंने इसको फेंकना उचित नहीं समझा। बचे हुए खाने को पैक कर लिया और सोचा कि रास्ते में किसी गरीब भिखारी को दे देंगे। ऑफिस से निकलते ही थोड़ी दूर पर उनको एक भिखारी दिखा, उन्होंने उससे पुछा कि आपने खाना खा लिया ? उसने बोला हाँ जी खा लिया। 

फिर ये आगे बढे, लगभग एक किलोमीटर बाद ही फुटपाथ पर एक बूढा व्यक्ति सोया हुआ मिल गया। उन्होंने गाड़ी रोकी और पास जाकर बोले, "बाबा, मेरे पास खाना है। अगर आपने खाना नहीं खाया हो तो ले लो"। उस बाबा ने भी मना कर दिया, "बोले मैं तो खाना खा चूका हूँ। अगले चौक पर देख लो किसी को दे देना"। इसके बाद काफी दूर-दूर तक उनको कोई नहीं मिला। सोचा कि अब तो किसी जानवर को ही खिलाना पड़ेगा। लेकिन तभी सड़क किनारे बैसाखी पर खड़ा एक युवक दिखा उनको। उसके हाथ में एक पन्नी की थैली लटक रही थी। उन्होंने उससे भी पुछा तो वो बोला, मुझे अभी-अभी कोई खाना देकर गया है, आप आगे किसी और को देदो। 

रात ज्यादा बीत चुकी थी, उनका घर भी पास आ गया था। जब किसी ने नहीं लिया तो उन्होंने खाने को थैली से निकाल कर खुले में सड़क पर रख दिया यह सोचकर कि किसी जानवर का पेट भर जाएगा।  उनकी कहानी यही ख़त्म नहीं हुई। कहने लगे कि "ये भिखारी, जिनको एक वक्त का खाना मिल जाए तो दूसरे वक्त का कोई निश्चित नहीं होता, लेकिन फिर भी इन्होंने एक बार पेट भर जाने के बाद दुबारा खाना नहीं लिया । यह भी नहीं सोचा कि कल सुबह नहीं मिलेगा तो यही खा लूँगा। एक हम हैं कि पता नहीं भविष्य के कितने सालों के लिए खाना इकठ्ठा कर लिये, फिर भी कमाई करने के लिए परेशान रहते हैं"।

सही बात है, हम भिखारियों से ज्यादा कमाते हैं, फिर भी दिन रात परेशान रहते हैं। ज्यादा हाई - प्रोफाइल पार्टियों में जाने का तो कभी मौका नहीं मिला, लेकिन कई भंडारों में या फिर पार्टियों में देखा है मैंने। लोग बुरी तरह से खाने पर टूट पड़ते हैं। और ये लोग भिखारी कदापि नहीं होते। कहीं भी कुछ मुफ्त बाँटना शुरू कर दीजिये, लोग टूट पड़ते हैं। भिखारी कभी भी अपनी जरूरत से ज्यादा नहीं लेता, भविष्य की अति-चिंता नहीं करता।

समझ में नहीं आता, भिखारी वो हैं या हम ?     

Monday 31 October 2016

लेनोवो वाइब K5 मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये




लेनोवो वाइब K5 मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 7 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके। बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Friday 28 October 2016

लावा A89 4G मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये





लावा A89 4G मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 7 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके। बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Wednesday 26 October 2016

सोशल मीडिया और हमारा समाज

आजकल सोशल मीडिया का नशा लोगों के सर चढ़ के बोल रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इसके शौक़ीन हो रहे हैं। सबसे पहले चैटिंग शुरू हुई, उसके बाद वेब मेसेंजर, फिर ऑरकुट उसके बाद फेसबुक, फिर टवीटर। लेकिन सबसे ज्यादा धूम मचा रहा है, सबसे बाद आया व्हाट्सएप्प। जबसे स्मार्ट फोन का ज़माना आया है, लोगो की सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोग डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप पर किया करते थे। अंग्रेजी में गिटपिट लिखते रहते थे। कम पढ़े लिखे लोगों को पता भी नहीं लगता था कि क्या हो रहा है। बस वो तो कीबोर्ड पर तेज गति से चलती उँगलियों को देखते फिर चलाने वाले के चेहरे की मुस्कान को। 

लेकिन जब से स्मार्ट फोन का जमाना आया है, सोशल मीडिया के राज धीरे धीरे खुलने लगे हैं। अब ये सिर्फ ज्यादा पढ़े लिखे या फिर अंग्रेजी में गिटपिट करने वालों का ही खिलौना नहीं रह गया, कम पढ़े लिखे लोग भी इसका इस्तेमाल जी भर के करने लगे हैं। क्योंकि अब हिंदी में भी टाइपिंग की सुविधा मिलने लगी है स्मार्टफोन्स में। फेसबुक और टवीटर के एप्प भी स्मार्टफोन के लिए बन गए तो इसका इस्तेमाल भी होने लगा। उसके बाद रही सही कसर व्हाट्सएप्प में आकर पूरी कर दी। व्हाट्सएप्प पर खूब चुटकुले, फोटो और वीडियो भेजने की सुविधा है। पहले तो स्मार्टफोन काफी महँगे हुआ करते थे लेकिन धीरे धीरे माँग बढ़ने के साथ साथ इनके दामों में भी बहुत कमी आई है। 

लोग यथासंभव, अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्मार्टफोन लेते हैं और उसी हिसाब से उसमें डाटा डलवा करके सोशल मीडिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। व्हाट्सएप्प का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। इसपर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ढेर सारे चुटकुलों, तस्वीरों और विडियो का आदान प्रदान किया जा सकता है। जरुरत सिर्फ मोबाइल में डाटा रहने की है। पहले टवीटर का उपयोग सिर्फ सेलिब्रिटीज तक ही सीमित था, क्योंकि उसमें सीमित अक्षरों की बाध्यता थी। लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल आमजन भी करने लगे हैं। अब तो टवीटर द्वारा फोटो और छोटे-छोटे विडियो भी शेयर किए जाने लगे हैं।

पहले जहाँ 10,000 रुपये या इससे ज्यादा कीमत के ही स्मार्टफोन्स मिलते थे यहीं अब 3,000 रुपये में भी स्मार्टफोन मिलने लगे हैं। ब्रांडेड कंपनियों के मोबाईल भी 5,000 रुपये की कीमत से शुरू होने लगे हैं। लेकिन एक तरफ जहाँ स्मार्टफोन्स की कीमत काम हो रही है वहीं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी डाटा की  कीमत दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। पहले 2012 में 98 रुपये में ही 1 जीबी डाटा पूरे एक महीने के लिए दिल्ली सर्किल में मिलता था, लेकिन अब 175 रुपये में 1 जीबी 2जी डाटा सिर्फ 28 दिनों के लिए मिलता है। अलग अलग सर्किल और अलग अलग सर्विस प्रोवाइडर्स में मामले में इन कीमतों में फर्क हो सकता है। अगर 3जी या 4 जी डाटा लिया जाय तो और ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है।

यूँ तो सोशल मीडिया की उपयोगिता इस बात में है कि जिन लोगों के पास समय नहीं है आपस में मिलने का वो इसके माध्यम से अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के संपर्क में रह सकें। एक दूसरे के साथ अपने सुख-दुःख के समाचार और तसवीरें शेयर कर सके। अनेक रचनाकार अपनी रचनाओं और सम्बद्ध वेबसाइट के लिंक को भी शेयर करते हैं फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर। इससे उनकी रचनाओं को मुफ्त पढ़ने का लाभ मिलता है यूज़र्स को और रचनाकार को लोकप्रियता। इस तरह से सोशल मीडिया का बहुत बढ़िया उपयोग किया जा सकता है। लेकिन आज कल सोशल मीडिया में कुछ असामाजिक तत्वो की घुसपैठ भी हो गई है। जिनका काम बे-सिर पैर की बातों को सोशल मीडिया में फैलाना है।

सोशल मीडिया धीरे-धीरे कुछ असामाजिक तत्वों का शिकार होता जा रहा है। ये लोग झूठी अफवाह फैलाते हैं, जिससे कई बार बड़ी मुश्किल हो जाती है। कई बार दो समुदाय में भीषण झगड़े का कारण भी बनने लगे हैं, सोशल मीडिया में फैलाये हुए अफवाह।  किसी के चेहरे को मॉर्फ़ करके उसका चरित्रहनन में भी सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल करने लगे हैं, कुछ शरारती तत्व। मोबाइल कैमरे और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके किसी की निजता को भी भंग करती हुई तसवीरें और विडियो भी खूब शेयर की जाने लगी है असामाजिक तत्वों द्वारा। कुछ लोग अपने निजी पलों को अपने कैमरे में कैद करके रखते हैं, लेकिन यही अगर किसी शरारती के हाथ लग जाए तो दूसरे दिन से ही सोशल मीडिया में वायरल होने लगती है।

यह निश्चित रूप से चिंता की बात है कि सोशल मीडिया सिर्फ प्यार-मोहब्बत और भाई-चारा ही नहीं बल्कि अब नफरतें फैलाने के लिए उपयोग में लाया जाने लगा है कुछ असामाजिक तत्वो द्वारा। हूटिंग और बुल्लिन्ग भी की जाने लगी है, सोशल मीडिया में अब तो। टवीटर पर भी किसी की बुराई करती हुई ट्रॉलिंग की जाने लगती है कुछ लोगों द्वारा, तो हर टवीट में किसी खास शब्द या शब्द समूह को # के साथ लिखकर उसको ट्रेंड कराया जाने लगता है। कभी-कभी तो सेलेब्रेटीज में ही आपस में टवीटर वार हो जाता है। राजनेता भी किसी घटना, चाहे वो सामाजिक हो या राजनीतिक, झट से टवीट करके अपनी प्रतिक्रिया दे देते हैं। बहुत से लोग किसी नामी हस्ती के नाम से भी अपना टवीटर अकाउंट बना लेते हैं, कुछ तो उस नामी हस्ती की फोटो भी लगा लेते हैं। इससे स्थिति कई बार काफी हास्यास्पद हो जाती है।

तमाम चीजों के साथ-साथ एक और चिंता की बात है कि कुछ लोग बुरी तरह से सोशल मीडिया के गिरफ्त में आ गए हैं। ऐसे लोग दिन हो या रात, समय, जगह, मौका कुछ नहीं देखते, बस अपने मोबाइल पर ही नजरें टिकाए रखते हैं। बस में हो घर पर हो, दोस्तों के साथ बैठे हों या फिर मेट्रो में हों, इनको दुनिया से कोई मतलब नहीं होता, बस सोशल मीडिया में ही अपडेट करने, शेयर और लाइक करने में लगे रहते हैं। कुछ लोग तो सड़क पर भी पैदल चलते हुए अपनी नजरें मोबाईल में टिकाए और उँगलियाँ मोबाईल स्क्रीन पर घुमाते रहते हैं। बहुतों बार ऐसी दीवानगी में, लोगों के जान गँवाने की भी खबरें आती रहती है। मतलब दूरस्थ लोगों के संपर्क में रहने के चक्कर में लोग, अपने करीबी , नजदीकी लोगों से दूर होते चले जा रहे हैं।

सोशल मीडिया के बहुत से फायदे हैं तो इसके बहुत से नुकसान भी हैं। जरुरत इस बात की है कि इसके नुकसान में न  पड़कर इसके फायदे का लाभ उठाया जाए। वरना माचिस की एक तीली से घर के चिराग भी जलते हैं रौशनी के लिए और घर में आग भी लगा सकती है ये तीली। जरुरत सावधानी बरतने की है।


Thursday 20 October 2016

क्या खास है एचटीसी डिजायर 628 ड्यूल सिम मोबाईल में ?




एचटीसी डिजायर 628 ड्यूल सिम मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 7 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके। बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Wednesday 19 October 2016

मनीष सिसोदिया के प्रयास से दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार।


19 अक्टूबर, 2016

आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं। लेकिन अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की जोड़ी ने दिल्ली में सुशासन और प्रगति की ऐसी अमिट छाप छोड़ी है कि जनमानस इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहा है। केजरीवाल जी के कामों की चर्चा तो हमेशा होती ही रहती हैं, लेकिन दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया जी ने जो कार्य किए हैं वो भी कम प्रशंसनीय नहीं है। जनता को इसके बारे में बताने की जरुरत है। 

दिल्ली के सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल्स और टीचर्स की ट्रेनिंग कैम्ब्रिज, हार्वर्ड, आई आई एम जैसे प्रतिष्टित संस्थानों में कराई जा रही है। कुछ शिक्षक ट्रेनिंग के लिए सिंगापूर भी भेजे जा रहे हैं। इससे शिक्षा एवं शिक्षण के स्तर में व्यापक सुधार होने की आशा है। स्कूलों के प्रिंसिपल्स के वित्तीय अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं। स्कूल की बेहतरी से जुड़े अधिकतर मामलों में निर्णय लेने का अधिकार प्रिंसिपल्स को दिए गए हैं। 

कमरों की कमी के कारण एक ही क्लास में क्षमता से ज्यादा बच्चों को बिठाना पड़ता था। एक स्कूल में तो एक दिन बीच करके क्लास लगती थी। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 8,000 नए क्लासरूम बनाने का काम पूरा होने ही वाला है। इसके अलावा 8,000 और नए क्लासरूम बनाने की मंजूरी दे दी गई है। 500 नए स्कूल बनाने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में 40 नए स्कूल की बिल्डिंग बनाने का काम अपने अंतिम चरण में है। इन स्कूलों की बिल्डिंग, प्राइवेट स्कूलों से भी ज्यादा अच्छे हैं। दो शिफ्ट में चलाए जाने की स्थिति में, इन 80 स्कूलों में पठन - पाठन कार्य जल्दी ही शुरू हो जायेगा। 

स्कूलों और अभिभावकों में समन्वय बढ़ाने के लिये प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर पीटीएम का आयोजन किया जा रहा है। इसी वर्ष जुलाई में और अभी 15 अक्टूबर को मेगा पीटीएम का आयोजन किया गया। इसमें अभिभावक बेझिझक अपने बच्चों की प्रगति के बारे में वर्ग शिक्षक एवं अन्य शिक्षकों से बात करते हैं और प्रश्न पूछते हैं। शिक्षकों को भी छात्रों के बारे मं उनके अभिभावकों से बात करने का मौका मिलता है। 

दिल्ली के 54 स्कूलों को चुनकर इसमें किसी भी प्राइवेट स्कूल से ज्यादा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। अब दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में इस प्रयोग को क्रियान्वित किये जाने की बात की जा रही है। स्कूलों में हर तरह की सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए एस्टेट मैनजेर की नियुक्ति की गई है। इसका काम स्कूल की देखरेख, सुरक्षा, सफाई, पानी आदि की व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। अब स्कूल के प्रिंसिपल्स पर इसकी जिम्मेदारी न होने की वजह से वो अध्यापन कार्य पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं। 
अब शिक्षकों को गैर-शिक्षण कार्य में नहीं लगाया जाता और पूरा समय उनसे पढ़ाई ही करवाया जाता है। इससे शिक्षा के स्तर में भी गुणात्मक परिवर्तन आया है। पहले अन्य कार्यों में लगे रहने के कारण शिक्षण में कम ध्यान एवं समय दे पाते थे शिक्षकगण। विद्यालय प्रबंधन समिति को अब पहले से ज्यादा मजबूत किया गया है। इसमें अभिभावकों को भी शामिल किया गया है। अब इनको पहले से ज्यादा अधिकार भी दिए गए हैं। स्कूल में हो रहे अध्यापन कार्य, वहाँ उपलब्ध सुविधा की भी जाँच करने का अधिकार है, अब विद्यालय प्रबंधन समिति को। अब इसके सदस्य स्कूल के कार्यों में खूब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे हैं।

स्कूलों में साफ-सफाई की व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हर स्कूल में कम से कम 4 सफाई कर्मचारी रखे गए हैं। इसका मतलब कि एक बिल्डिंग में 8 सफाई कर्मचारी काम करते हैं। इससे स्कूलों में गंदगी नहीं रहती है। समय-समय पर शिक्षामंत्री जी स्कूलों का औचक निरीक्षण भी करते रहते हैं और कमी पाए जाने पर आवश्यक दिशा-निर्देश देते हैं। अगर स्थिति ज्यादा ही ख़राब हुई तो सम्बंधित अधिकारी और कर्मचारी को दंड देने से भी परहेज नहीं करते। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही में बहुत कमी आई है।

इन सब कार्यों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर में बहुत ज्यादा सुधार देखने को मिल रहा है। मनीष सिसोदिया जी अगर ऐसे ही मन लगाकर काम करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब लोग प्राइवेट स्कूलों में ली जाने वाली भारी भरकम फ़ीस से आजिज आकर, सरकारी स्कूलों में ही अपने बच्चों को पढ़ाना पसंद करेंगे।

Tuesday 18 October 2016

लावा X81 4G मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये



लावा X81 4G मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 7 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके । बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Monday 17 October 2016

लावा V5 मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये


लावा V5 मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 8 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके । बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Sunday 16 October 2016

लावा X81 4G मोबाईल का बेंच मार्किंग टेस्ट।



लावा X81 4G मोबाईल का बेंच मार्किंग टेस्ट देखिये करीब 5 मिनट की इस छोटी सी विडियो में । इसमें इसके खास-खास फीचर्स भी बताए गए हैं। 

Saturday 15 October 2016

ऐसा क्या खास है जियोमी रेडमी 3S प्राइम मोबाईल में ?





जियोमी रेडमी 3S प्राइम मोबाईल के सारे शानदार फीचर्स देखिये करीब 7 मिनट के इस छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ-साथ और क्या-क्या चीज मिलती है ? इस मोबाईल के क्या- क्या खास फंक्शन हैं ? सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके । बस क्लिक करके विडियो को देखिये।

Friday 14 October 2016

ऐसा क्या खास है लावा X10 मोबाईल में ?




लावा X10 मोबाईल के सारे मजेदार फीचर्स देखिये इस 8 मिनट के छोटे से वीडियो में। इस मोबाईल को खरीदने पर बॉक्स में मोबाईल के साथ साथ और क्या क्या चीज मिलती है। इस मोबाईल के क्या क्या खास फंक्शन हैं, सब कुछ बताया गया है बॉक्स को पूरा खोल के और मोबाईल को चलाके । बस क्लिक करके विडियो को देखिये। 

Thursday 13 October 2016

नोकिया के उत्थान और पतन की कहानी।



देखिये कभी मोबाईल की दुनिया का बादशाह रही कंपनी के उत्थान से लेकर पतन की कहानी करीब 7 मिनट के इस छोटे से विडियो में।