Wednesday 26 October 2016

सोशल मीडिया और हमारा समाज

आजकल सोशल मीडिया का नशा लोगों के सर चढ़ के बोल रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इसके शौक़ीन हो रहे हैं। सबसे पहले चैटिंग शुरू हुई, उसके बाद वेब मेसेंजर, फिर ऑरकुट उसके बाद फेसबुक, फिर टवीटर। लेकिन सबसे ज्यादा धूम मचा रहा है, सबसे बाद आया व्हाट्सएप्प। जबसे स्मार्ट फोन का ज़माना आया है, लोगो की सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोग डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप पर किया करते थे। अंग्रेजी में गिटपिट लिखते रहते थे। कम पढ़े लिखे लोगों को पता भी नहीं लगता था कि क्या हो रहा है। बस वो तो कीबोर्ड पर तेज गति से चलती उँगलियों को देखते फिर चलाने वाले के चेहरे की मुस्कान को। 

लेकिन जब से स्मार्ट फोन का जमाना आया है, सोशल मीडिया के राज धीरे धीरे खुलने लगे हैं। अब ये सिर्फ ज्यादा पढ़े लिखे या फिर अंग्रेजी में गिटपिट करने वालों का ही खिलौना नहीं रह गया, कम पढ़े लिखे लोग भी इसका इस्तेमाल जी भर के करने लगे हैं। क्योंकि अब हिंदी में भी टाइपिंग की सुविधा मिलने लगी है स्मार्टफोन्स में। फेसबुक और टवीटर के एप्प भी स्मार्टफोन के लिए बन गए तो इसका इस्तेमाल भी होने लगा। उसके बाद रही सही कसर व्हाट्सएप्प में आकर पूरी कर दी। व्हाट्सएप्प पर खूब चुटकुले, फोटो और वीडियो भेजने की सुविधा है। पहले तो स्मार्टफोन काफी महँगे हुआ करते थे लेकिन धीरे धीरे माँग बढ़ने के साथ साथ इनके दामों में भी बहुत कमी आई है। 

लोग यथासंभव, अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्मार्टफोन लेते हैं और उसी हिसाब से उसमें डाटा डलवा करके सोशल मीडिया में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। व्हाट्सएप्प का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। इसपर बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के ढेर सारे चुटकुलों, तस्वीरों और विडियो का आदान प्रदान किया जा सकता है। जरुरत सिर्फ मोबाइल में डाटा रहने की है। पहले टवीटर का उपयोग सिर्फ सेलिब्रिटीज तक ही सीमित था, क्योंकि उसमें सीमित अक्षरों की बाध्यता थी। लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल आमजन भी करने लगे हैं। अब तो टवीटर द्वारा फोटो और छोटे-छोटे विडियो भी शेयर किए जाने लगे हैं।

पहले जहाँ 10,000 रुपये या इससे ज्यादा कीमत के ही स्मार्टफोन्स मिलते थे यहीं अब 3,000 रुपये में भी स्मार्टफोन मिलने लगे हैं। ब्रांडेड कंपनियों के मोबाईल भी 5,000 रुपये की कीमत से शुरू होने लगे हैं। लेकिन एक तरफ जहाँ स्मार्टफोन्स की कीमत काम हो रही है वहीं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी डाटा की  कीमत दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। पहले 2012 में 98 रुपये में ही 1 जीबी डाटा पूरे एक महीने के लिए दिल्ली सर्किल में मिलता था, लेकिन अब 175 रुपये में 1 जीबी 2जी डाटा सिर्फ 28 दिनों के लिए मिलता है। अलग अलग सर्किल और अलग अलग सर्विस प्रोवाइडर्स में मामले में इन कीमतों में फर्क हो सकता है। अगर 3जी या 4 जी डाटा लिया जाय तो और ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है।

यूँ तो सोशल मीडिया की उपयोगिता इस बात में है कि जिन लोगों के पास समय नहीं है आपस में मिलने का वो इसके माध्यम से अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के संपर्क में रह सकें। एक दूसरे के साथ अपने सुख-दुःख के समाचार और तसवीरें शेयर कर सके। अनेक रचनाकार अपनी रचनाओं और सम्बद्ध वेबसाइट के लिंक को भी शेयर करते हैं फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर। इससे उनकी रचनाओं को मुफ्त पढ़ने का लाभ मिलता है यूज़र्स को और रचनाकार को लोकप्रियता। इस तरह से सोशल मीडिया का बहुत बढ़िया उपयोग किया जा सकता है। लेकिन आज कल सोशल मीडिया में कुछ असामाजिक तत्वो की घुसपैठ भी हो गई है। जिनका काम बे-सिर पैर की बातों को सोशल मीडिया में फैलाना है।

सोशल मीडिया धीरे-धीरे कुछ असामाजिक तत्वों का शिकार होता जा रहा है। ये लोग झूठी अफवाह फैलाते हैं, जिससे कई बार बड़ी मुश्किल हो जाती है। कई बार दो समुदाय में भीषण झगड़े का कारण भी बनने लगे हैं, सोशल मीडिया में फैलाये हुए अफवाह।  किसी के चेहरे को मॉर्फ़ करके उसका चरित्रहनन में भी सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल करने लगे हैं, कुछ शरारती तत्व। मोबाइल कैमरे और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके किसी की निजता को भी भंग करती हुई तसवीरें और विडियो भी खूब शेयर की जाने लगी है असामाजिक तत्वों द्वारा। कुछ लोग अपने निजी पलों को अपने कैमरे में कैद करके रखते हैं, लेकिन यही अगर किसी शरारती के हाथ लग जाए तो दूसरे दिन से ही सोशल मीडिया में वायरल होने लगती है।

यह निश्चित रूप से चिंता की बात है कि सोशल मीडिया सिर्फ प्यार-मोहब्बत और भाई-चारा ही नहीं बल्कि अब नफरतें फैलाने के लिए उपयोग में लाया जाने लगा है कुछ असामाजिक तत्वो द्वारा। हूटिंग और बुल्लिन्ग भी की जाने लगी है, सोशल मीडिया में अब तो। टवीटर पर भी किसी की बुराई करती हुई ट्रॉलिंग की जाने लगती है कुछ लोगों द्वारा, तो हर टवीट में किसी खास शब्द या शब्द समूह को # के साथ लिखकर उसको ट्रेंड कराया जाने लगता है। कभी-कभी तो सेलेब्रेटीज में ही आपस में टवीटर वार हो जाता है। राजनेता भी किसी घटना, चाहे वो सामाजिक हो या राजनीतिक, झट से टवीट करके अपनी प्रतिक्रिया दे देते हैं। बहुत से लोग किसी नामी हस्ती के नाम से भी अपना टवीटर अकाउंट बना लेते हैं, कुछ तो उस नामी हस्ती की फोटो भी लगा लेते हैं। इससे स्थिति कई बार काफी हास्यास्पद हो जाती है।

तमाम चीजों के साथ-साथ एक और चिंता की बात है कि कुछ लोग बुरी तरह से सोशल मीडिया के गिरफ्त में आ गए हैं। ऐसे लोग दिन हो या रात, समय, जगह, मौका कुछ नहीं देखते, बस अपने मोबाइल पर ही नजरें टिकाए रखते हैं। बस में हो घर पर हो, दोस्तों के साथ बैठे हों या फिर मेट्रो में हों, इनको दुनिया से कोई मतलब नहीं होता, बस सोशल मीडिया में ही अपडेट करने, शेयर और लाइक करने में लगे रहते हैं। कुछ लोग तो सड़क पर भी पैदल चलते हुए अपनी नजरें मोबाईल में टिकाए और उँगलियाँ मोबाईल स्क्रीन पर घुमाते रहते हैं। बहुतों बार ऐसी दीवानगी में, लोगों के जान गँवाने की भी खबरें आती रहती है। मतलब दूरस्थ लोगों के संपर्क में रहने के चक्कर में लोग, अपने करीबी , नजदीकी लोगों से दूर होते चले जा रहे हैं।

सोशल मीडिया के बहुत से फायदे हैं तो इसके बहुत से नुकसान भी हैं। जरुरत इस बात की है कि इसके नुकसान में न  पड़कर इसके फायदे का लाभ उठाया जाए। वरना माचिस की एक तीली से घर के चिराग भी जलते हैं रौशनी के लिए और घर में आग भी लगा सकती है ये तीली। जरुरत सावधानी बरतने की है।


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