Monday 28 November 2016

माँ का आँचल, सर्वोत्तम सुरक्षा कवच

पिछले दिनों अपने दोस्त के परचून की दुकान पर बैठ कर उससे गप्पे लड़ा रहा था। उसकी दुकान पर बच्चों के खाने की चीजें जैसे विभिन्न प्रकार के टॉफी, चॉकलेट और बिस्कुट मिलते हैं। इसलिए उसके ग्राहकों में ज्यादातर बच्चे ही होते हैं। उस दिन 2 - 3 साल का एक छोटा बच्चा आया और बाहर दुकान के दरवाजे पर चिपके पोस्टर पर हाथ रख कर वही टॉफी देने के लिए बोला जिसकी तस्वीर उस पोस्टर पर थी। दोस्त ने बताया कि ये ख़त्म हो गया है, "कल" ले लेना। बच्चा बोला आज ही तो "कल" है। 

फिर दोस्त  को याद आया कि यही बच्चा कल शाम को भी आया था इसी टॉफी के लिए तो दोस्त ने कहा था कि "कल" ले लेना, आज ख़त्म हो गया है। अब बच्चे को क्या जवाब दे। उसने सम्भलते हुए जवाब दिया, अभी तो सुबह है न, शाम को बाजार जाऊंगा तो लेता आऊंगा। इतना सुनने के बाद बच्चा चला गया लेकिन थोड़ी ही देर के बाद पुनः वापस आया एक रुपये का सिक्का लेके और बोला दूसरी टॉफी दे दीजिए। मेरे दोस्त ने 1 रुपये वाली बहुत सी टॉफियाँ दिखाई लेकिन बच्चे को एक भी पसंद नहीं आई। बच्चा बोला कि लॉलीपॉप दीजिये। 

दोस्त ने कहा, लॉलीपॉप 5 रुपये का आता है, और पैसे ले आओ। बच्चा बोला, "मम्मी इतना ही दी है, आप लॉलीपॉप दीजिए"। दोस्त ने कहा कि घर जाओ और मम्मी से 5 रुपये ले आओ। बच्चा बोला कि मम्मी और रुपये नहीं देगी, इसी में दीजिए। अब दोस्त सोचने लगा कि अगर 5 रुपये की लॉलीपॉप 1 रुपये में देता हूँ तो सीधे-सीधे 4 रुपये का घाटा होता है। लेकिन बच्चे की मासूमियत देखते हुए उसको निराश भी नहीं करना चाहता था। इसलिए उसने 2 रुपये वाला लॉलीपॉप निकाला और बच्चे की तरफ बढ़ाया। 

लेकिन अबोध बालक समझ गया कि उसके साथ धोखा हो रहा है। उसने कहा कि ये नहीं, और 5 रुपये वाली लॉलीपॉप की तरफ इशारा करके बोला वो वाला दीजिए। अब दोस्त क्या करे, समझ नहीं पा रहा था कि बच्चे को कैसे समझाए। बच्चा 1 रुपये में 5 रुपये वाली लॉलीपॉप लेने की जिद पर अड़ा हुआ था। इसीलिए कोई चारा न पाकर दोस्त ने बच्चे से कहा कि पूरे 5 रुपये लाओगे तभी मिलेगा ये लॉलीपॉप। इतना सुनना था कि बच्चा बोला, "मम्मी को बोल दूँगा" और कहते हुए थोड़ा रुआंसा भी हो गया। 

"मम्मी को बोल दूंगा" कहते-कहते सुबकने भी लगा। अब दोस्त ने घाटे की परवाह नहीं करते हुए 5 रुपये वाली लॉलीपॉप निकाली और बच्चे को दे दिया। बच्चा भी मुस्कुराते हुए हाथ में 1 रुपये दिए और ख़ुशी-ख़ुशी चला गया। प्रसंग तो ख़त्म हो गया लेकिन मैं सोचने लगा। मुझे अपने बचपन के दिन याद आने लगे। बचपन में हमें भी हमारी माता जी सबसे बड़ी तारणहार लगती थी। जब भी हमें लगता था कि हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है तो हम भी झट से सामने वाले को धमकाते थे कि मम्मी को बोल दूँगा। 

इसका वाक्य का असर भी होता था, सामने वाला डर जाता था और हमारे साथ कुछ गलत करने की हिम्मत नहीं करता था। जब कभी कोई हमें पीटने के लिए दौड़ता था या फिर हम कुछ शरारत करते थे तो हम झट से भागकर माँ के पास पहुँच जाते थे, माँ के पीछे या फिर उनके आँचल में छुप जाते थे। माँ हमेशा ही हमारा पक्ष लेती थी, हमारा बचाव करती थी। हमें लगता था कि माँ हमें हर मुसीबत से बचा लेगी, और बचाती भी थी। चाहे पिताजी का गुस्सा हो या मास्टर जी की डाँट, माताजी हमेशा बचाती थी। 

सच में, माँ की ममता अनमोल है, माँ का आँचल सर्वोत्तम सुरक्षा कवच है। 

Friday 25 November 2016

मुबारकवाद दीजिए, ATM से नोट निकलवा आया हूँ।

26, नवम्बर, 2016

कई दिन हो गए, 500 और 1000 रुपयों के पुराने नोट अमान्य घोषित हुए। उसके दूसरे दिन ही बैंक और एटीएम बंद कर दिए गए, एटीएम तो तीसरे दिन भी बंद थे। अब जिनके पास 500 और 1000 रुपयों के नोट थे उनके बीच नोट बदलने या फिर बैंक से पैसे निकालने की अफरा-तफरी हो गयी। लगने लगी लंबी लंबी लाइनें एटीएम और बैंको के बाहर। ऐसा लग रहा था मानो रुपये मुफ्त मिल रहे हों। एक मेला सा लग रहा था ऐसी जगहों पर। 

ज्योहीं कोई एटीएम ख़राब होता या फिर उसमें रकम ख़त्म हो जाता, झट से लोग भाग पड़ते दूसरी जगह। ऐसे में हम कैसे इससे अप्रभावित हो सकते थे। 4-5 नोट हमारे पास भी थे ऐसे, सो हम भी पहुँच गए पास के एक बैंक में जमा करवाने। बैंक में भीड़ बहुत ज्यादा लगी मुझे। फॉर्म भर लेने के बाद देखा तो दो लाइनें पुरुषों की लगी थी और दो महिलाओं की। पुरुषों की दोनों लाइनों में 30 - 30 लोग लगे रहे होंगे। 10-15 मिनट के इंतजार के बाद भी जब लाइन आगे नहीं खिसकी तो हमने सोचा कि आज पहले ही दिन इतनी भीड़ है तो कल से तो और कम होगी। 
सो हमने बुद्धिमानी से काम लिया और अगले दिन आने का निश्चय करके लाइन से अलग हो गए और घर आ गए। दूसरे दिन सोचा कि आज जल्दी जाते हैं, टॉप 5 में रहेंगे तो हमारा काम जल्दी हो जाएगा। लेकिन जब बैंक पहुंचे तो देखा, लाइन बैंक बिल्डिंग के कैम्पस के मुख्य द्वार पर पहुँच चुकी है। अब हमने फिर दिमाग से काम लिया और नोट बदलवाने की सोची। इसके बाद लगाने लगे चक्कर बैंको के ताकि जिधर सबसे छोटी लाइन हो उधर ही खड़े हो जाएँ। लेकिन अफ़सोस, हर जगह पहले से ज्यादा ही लंबी लाइन दिखी। 

अभी तक घर में रखे कैश भी दाल चावल चीनी सब्जी आदि खरीदने में ख़त्म हो चुके थे। सो अब हमने निश्चय किया कि अब बैंको के चक्कर लगाने में समय नष्ट न करेंगे और एटीएम से पैसे निकाल लेंगे। एक दिन में 2000 रुपए तो निकाले ही जा सकते हैं। अब लगे एटीएम के चक्कर लगाने, लेकिन हर जगह बैंको से भी दोगुनी या तीनगुनी ज्यादा लंबी लाइन दिखी। हमने एक बार फिर दिमाग से काम लिया और अगले दिन सुबह ही सुबह नजदीक के एटीएम जाने का निश्चय किया। 9:30 बजे सुबह लाइन में लगे, 20 - 25 लोग हमसे पहले थे। ठीक 11:00 बजे हम 100-100 के बीस नोट निकाल के विजयी मुस्कान के साथ एटीएम से निकले। 

कसम, से ऐसी फीलिंग आ रही थी, मानो कोई बहुत बड़ी जंग जीत ली हो। चेहरे से मुस्कान छिपे नहीं छिप रही थी, एक नया और अनोखा अनुभव जो पा चूका था।

Wednesday 16 November 2016

तो ये है सोनम गुप्ता के बेवफा होने की कहानी ?

कल से ही सोशल मीडिया में 10 और 2000 रुपये के नोट की फोटो शेयर की जा रही है जिस पर लिखा है "सोनम गुप्ता बेवफा है"। किसी लड़की का नाम इस तरह से बदनाम करना बिलकुल गलत है। इस के दोषी पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। नोटों को विरूपित करने का मामला भी दर्ज होना चाहिए। ताकि कोई भविष्य में इस तरह की हरकत न करे।

इसी बीच कुछ लोगों ने अपनी कल्पनाशीलता का परिचय देते हुए कुछ मनगढन्त कहानियाँ भी सोशल मीडिया में शेयर करनी शुरू कर दी है। जिसमें से एक निम्न प्रकार से है।  

बहुत पहले की बात है, राजू और सोनम गुप्ता एक ही बस में सफर कर रहे थे। कंडेक्टर से टिकट लिया, उसके पास छुट्टे नही थे। 20 का नोट था और सोनम और राजू दोनों को ही 10-10/- लौटाने थे। सोनम और राजू दोनों का स्टॉपेज एक ही था, बस कंडेक्टर राजू को 20 का नोट दिया और बोला, "भाई ये ले, जब स्टॉप पर उतरे तो मैडम को खुले करा के 10/- दे दियो और अपने10/- रख लियो।" 

जब सोनम को ये बात पता चली तो वो राजू को देख मुस्कुरायी। राजू के मन में लड्डू फूटने लगे। उसने बातो ही बातों में सोनम से उसका नाम पूछा, वो कहाँ जायेगी ये पूछा और भी थोड़ी इंफॉर्मेशन मांगी और फिर आँख बंद करके सोनम के साथ सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगा। सपने देखते देखते कब स्टॉप आ गया उसे पता ही नही लगा। वो सपने देखते रहा। 

इतने में सोनम भी उससे अपने छुट्टे पैसे लेना भूल चुकी थी। जैसे ही स्टॉप आया, सोनम, जो कि पहले ही बस के गेट पर पहुच चुकी थी, वो उतर गयी, इसी बीच राजू को भी अहसास हुआ कि स्टॉप आ गया है तो वो उठा और दौड़ते हुए गेट पर पहुंचा, उसकी नज़र चारो और बस सोनम को ढूंढ रही थीं। जब तक वह गेट पर पहुंचा बस हल्की हल्की चल पड़ी थी, वह चलती बस में से कूद कर बाहर आया और सोनम गुप्ता को ढूंढने लगा। 

तभी अचानक उसकी निगाहें दूर खड़ी, किसी से हंस कर बात करती हुई सोनम पर पड़ीं। जैसे समय रुक गया हो उसका, उसने पास के एक ठेले से एक पाउच पान बहार का लिया, उसे खोल कर मुंह में डाला, और 10/- हाथ में लिए वह सोनम की और जाने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह शाहरुख़ खान हो और सोनम की ओर स्लो मोशन में भाग रहा हो। अचानक उसकी निगाह उस पर पड़ीं जिससे वह बात कर रही थी, वो एक लंबा, हैंडसम सा लड़का था, जो बार बार उसका हाथ पकड़ रहा था। 

राजू को थोड़ा गुस्सा आया वह थोड़ा तेज़ी से सोनम की ओर बढ़ने लगा, लेकिन इसी बीच सोनम उस लड़के के साथ पास खड़ी बाइक पर बैठ गयी, लड़के ने बाइक स्टार्ट की, सोनम ने उसके कमर में हाथ डाले और वह लड़का सोनम को लेकर फुर्र। अब राजू खड़ा देखता रह गया। बहुत गुस्सा आया, उसके सपने चूर चूर हो चुके थे। उसने आव देखा न ताव, हाथ में लिए 10 के नोट पर लिखा "सोनम गुप्ता बेवफा है "। उसे पास बैठे एक भिखारी को दिया और तेजी से मुंह का गुटका थूकता हुआ स्टेशन से निकल गया। 

वह बरसों सोनम से बिछड़ा तो रहा लेकिन उसे कभी भूल नही पाया। अब परसों जब वह अपने नोट बदलवा कर बैंक से निकला तो सामने अचानक से सोनम दिख गयी। सोनम गुप्ता को देखकर उसके मन के अरमान फिर से जाग गये। उसके हाथ में 2 हज़ार के दो करारे नोट थे। जैसे ही सोनम को देखा तो उसकी और जाने लगा। अचानक से फिर वही लड़का सामने था, इस बार गाड़ी में, उसके साथ बैठी और चली गयी। 

राजू को फिर गुस्सा आया और उसने 2 हज़ार के नोट पर लिखा "सोनम गुप्ता बेवफा है" और लाइन में खड़े एक लड़के से 500 के 4 नोट लेकर वो 2 हज़ार का नोट उसे देकर खुद फिर से लाइन में लग गया। 

तो यही है अपने राजू की दर्द भरी, सोनम गुप्ता के बेवफा होने की कहानी।  

(नोट : ये कहानी सोशल मीडिया में बहुत शेयर की जा रही है। इसके पात्र का किसी व्यक्ति विशेष से सम्बन्ध नहीं है। लेखक इसके मूल-लेखक होने का दावा नहीं करता। हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं है। लेख का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ विशुद्ध मनोरंजन करने के सिवा और कुछ नहीं है।)
( साभार : सोशल मीडिया )

Sunday 6 November 2016

पंजाब के उद्योगपतियों को आम आदमी पार्टी की सौगात।



पिछले महीने 16 अक्टूबर 2016 को पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 के मद्दे नजर आम आदमी पार्टी ने पंजाब के औद्योगिक विकास के लिए मेनिफेस्टो जारी किया। इसके प्रमुख अंश निम्न प्रकार से हैं।

1. व्यापार, उद्योग और ट्रांसपोर्ट क्षेत्रो को भ्रष्टाचार मुक्त किया जाएगा। इंस्पेक्टर राज और रेड राज का खात्मा किया जाएगा। गुंडा टैक्स हरगिज भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

2. टैक्स प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा। वैट और सभी टैक्स दिल्ली की तरह घटाए जायेंगे। 5 साल में टैक्स दरें सबसे कम की जाएँगी। टैक्स सम्बंधित चल रहे मामलों का एक साथ निर्णय किया जाएगा। वैट वापसी में तेजी लाई जाएगी।

3. प्रॉपर्टी कारोबार समेत सब तरह के उद्योगों के लिए मंजूरियों आदि के लिए योग्य और जिम्मेदार सिंगल विंडो की व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। आई टी समेत नए उद्योगों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाएगा।

4. औद्योगिक शहरों की घाटे में या बंद हुए उद्योग का पुनर्निर्माण, 2 साल तक टैक्स छूट एवं अन्य यत्नो के साथ निश्चित समय में की जाएगी। राज्य को छोड़ चुके उद्योगों को वापस लाने के लिए विशेष पैकेज दिया जाएगा।

5. भ्रष्टाचार ख़त्म करके एवं व्यवस्था कार्य प्रणाली में सुधार करके बिजली की दरें कम की जाएँगी। निजी प्लांटों के साथ पंजाब के हितों के विरुद्ध हुए बिजली समझौतों पर पुनर्विचार किया जाएगा। प्रदेश के लोगों पर अनावश्यक भार डालने वालों को सजा दी जाएगी।

6. वातावरण अनुकूल आई टी एवं अन्य उद्योगों को स्वीकृति देने के लिए रोपड़ में एक नया औद्योगिक शहर विशेष रियायतों के साथ स्थापित किया जाएगा और हिमाचल के साथ लगते पिछड़े हुए तटीय इलाकों में रोजगार पैदा किया जाएगा।

7. अवैध कालोनियों को नियमित करके सीवरेज समेत सभी प्राथमिक सुविधाएँ निश्चित समय के अंदर दी जाएगी।

8. रसूखदारों को फायदा देने के लिए मास्टर प्लान में की गयी छेड़-छाड़ पर पुनर्विचार किया जाएगा और एक व्यापक रीयल एस्टेट पॉलिसी बनाई जाएगी। हाउसिंग कारोबार से सम्बंधित समूहों से बातचीत करके इस कारोबार को फिर से खड़ा किया जाएगा।

9. पुड्डा, गमाडा, गलाडा, इम्प्रूवमेंट ट्रस्टों एवं म्युनिसिपल निगमों समेत सभी सरकारी एजेंसियों एवं कानून में एक समानता लाई जाएगी।

10. रेत - बजरी माफिया का पंजाब से खात्मा किया जाएगा और माइनिंग के लाइसेंस नौजवान कारोबारियों को दिए जाएँगे। अकाली - भाजपा और कांग्रेस की मिलीभगत से गुंडा टैक्स इकठ्ठा करने की पड़ताल विशेष जाँच टीम के द्वारा करवाई जाएगी।

11. खेती पर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग एवं अन्य उद्योगों को 10 साल तक टैक्स छूट दी जाएगी। कम से कम 80% पंजाबियों को रोजगार देने वाले कृषि उद्योगों को ब्याज रहित ऋण दिए जाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग, डेयरी उत्पाद, कपास और मक्का से सम्बंधित उद्योग स्थानीय कारोबारियों को रियायतें देकर लगवाए जाएंगे।

12. ट्रांसपोर्ट कारोबार को राजनीति से मुक्त किया जाएगा। आम आदमी पार्टी की सरकार, बादलों, अकाली - भाजपा नेताओं, कांग्रेसियों एवं अन्य द्वारा गलत तरीकों से हासिल किए गए बस परमिटो को छीनकर बेरोजगार नौजवानों, रिटायर्ड फौजियों, अपंग व्यक्तियों, आतंकवाद पीड़ितों एवं 1984 में सिक्खों के खिलाफ हुए हिंसा के पीड़ितों को देगी।

13. ट्रकों के कारोबार को भ्रष्टाचार मुक्त किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट अफसरों और पुलिस द्वारा की जाने वाली अनावश्यक चेकिंग की परेशानी को सरकार बनने के 2 हफ्ते के भीतर दूर किया जाएगा। ट्रक यूनियनों से राजनैतिक कंट्रोल ख़त्म किया जाएगा।

14. हैवी मोटर ड्राइविंग लाइसेंस और टैक्सी परमिट जारी करने की सुविधा हर जिले में मुहैया करवाई की जाएगी।

15. रेहड़ी-फड़ी वालों की परेशानी को रोकने के लिए हर शहर में रेहड़ी मार्किट और सप्ताहवार मंडियों के लिए जगह निश्चित की जाएगी।

16. भले ही खाद्य वस्तुओं में मिलावट बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन दुकानदारों की नाजायज परेशानियों रोकने के लिए नया ढांचा बनाया जाएगा। खाद्य सुरक्षा के लिए हर जिले में परीक्षण लैबोरेटीज बनाई जाएँगी।

17. धार्मिक, सांस्कृतिक एवं औद्योगिक टूरिज्म को होटलों और अन्य क्षेत्रों में टैक्स रियायत के साथ उत्साहित किया जाएगा। लुधियाना, जालंधर, अमृतसर और पटियाला में निजी हिस्सेदारी के साथ एग्जीबिशन हाल बनाए जाएँगे।

18.  महिलाओं को व्यापार में उत्साहित करने के लिए महिला व्यापारियों को 5 साल के लिए टैक्स रियायत दी जाएगी।

19.  शराब माफिया का खात्मा किया जाएगा और इसकी जगह पर सबको बराबर मौके और रोजगार देने वाला एक नया सिस्टम लाया जाएगा। शराब कारोबार में राजनीतिज्ञों एवं उनके कारिंदों का कंट्रोल ख़त्म किया जाएगा।

20. प्राइवेट कंपनियों द्वारा अकाली - भाजपा, कांग्रेसी राजनीतिज्ञों की मिलीभगत के साथ वसूले जा रहे भारी टोल टैक्स जाँच की जाएगी और इस पर पुनर्विचार किया जाएगा। हाइवे के सिवा किसी भी सड़क पर टोल प्लाजा नहीं लगाया जाएगा।

21. केंद्र की कुछ टोल प्लाजा हटाने की नीति के अन्तर्गत जालंधर - अमृतसर और रोपड़ - आनंदपुर साहिब नेशनल हाइवे के टोल प्लाजा हटाने के लिए जोर डाला जाएगा। 

Tuesday 1 November 2016

भिखारी वो हैं या हम ?

पिछले ही दिनों की बात है। किसी बीमार मित्र का कुशल - क्षेम पूछने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ा। अब दिल्ली से फरीदाबाद जाने के लिए दिल्ली मेट्रो से अच्छा साधन क्या हो सकता था, इसलिए मेट्रो से ही यात्रा प्रारम्भ की। वैसे लंबे सफर में अकेले होने पर मुझे कान में इयरफोन लगा कर एफएम पर पुराने गाने सुनकर सफर का आनंद लेने की आदत है। लेकिन गाड़ी के सुरंग में होने के कारण सिग्नल नहीं मिल रहा था, एफएम का। मजबूरन सहयात्रियों के बीच हो रहे आवश्यक-अनावश्यक वार्तालाप को कान देना पड़ा। एक सज्जन अपने मित्र से बात कर रहे थे। बातों से लग रहा था कि अपनी आपबीती सुना रहे थे। 

कहानी कुछ यूँ थी, वो साहब दिल्ली - एनसीआर में किसी बड़ी कंपनी में किसी बड़े पद पर काम करते थे। शुक्रवार की रात को ज्यादा काम की वजह से ऑफिस में देर रात तक उनको रुकना पड़ा तो ऑफिस में ही बाहर से खाना मंगवा कर खा लिया। खाना कुछ ज्यादा ही आ गया था तो उन्होंने इसको फेंकना उचित नहीं समझा। बचे हुए खाने को पैक कर लिया और सोचा कि रास्ते में किसी गरीब भिखारी को दे देंगे। ऑफिस से निकलते ही थोड़ी दूर पर उनको एक भिखारी दिखा, उन्होंने उससे पुछा कि आपने खाना खा लिया ? उसने बोला हाँ जी खा लिया। 

फिर ये आगे बढे, लगभग एक किलोमीटर बाद ही फुटपाथ पर एक बूढा व्यक्ति सोया हुआ मिल गया। उन्होंने गाड़ी रोकी और पास जाकर बोले, "बाबा, मेरे पास खाना है। अगर आपने खाना नहीं खाया हो तो ले लो"। उस बाबा ने भी मना कर दिया, "बोले मैं तो खाना खा चूका हूँ। अगले चौक पर देख लो किसी को दे देना"। इसके बाद काफी दूर-दूर तक उनको कोई नहीं मिला। सोचा कि अब तो किसी जानवर को ही खिलाना पड़ेगा। लेकिन तभी सड़क किनारे बैसाखी पर खड़ा एक युवक दिखा उनको। उसके हाथ में एक पन्नी की थैली लटक रही थी। उन्होंने उससे भी पुछा तो वो बोला, मुझे अभी-अभी कोई खाना देकर गया है, आप आगे किसी और को देदो। 

रात ज्यादा बीत चुकी थी, उनका घर भी पास आ गया था। जब किसी ने नहीं लिया तो उन्होंने खाने को थैली से निकाल कर खुले में सड़क पर रख दिया यह सोचकर कि किसी जानवर का पेट भर जाएगा।  उनकी कहानी यही ख़त्म नहीं हुई। कहने लगे कि "ये भिखारी, जिनको एक वक्त का खाना मिल जाए तो दूसरे वक्त का कोई निश्चित नहीं होता, लेकिन फिर भी इन्होंने एक बार पेट भर जाने के बाद दुबारा खाना नहीं लिया । यह भी नहीं सोचा कि कल सुबह नहीं मिलेगा तो यही खा लूँगा। एक हम हैं कि पता नहीं भविष्य के कितने सालों के लिए खाना इकठ्ठा कर लिये, फिर भी कमाई करने के लिए परेशान रहते हैं"।

सही बात है, हम भिखारियों से ज्यादा कमाते हैं, फिर भी दिन रात परेशान रहते हैं। ज्यादा हाई - प्रोफाइल पार्टियों में जाने का तो कभी मौका नहीं मिला, लेकिन कई भंडारों में या फिर पार्टियों में देखा है मैंने। लोग बुरी तरह से खाने पर टूट पड़ते हैं। और ये लोग भिखारी कदापि नहीं होते। कहीं भी कुछ मुफ्त बाँटना शुरू कर दीजिये, लोग टूट पड़ते हैं। भिखारी कभी भी अपनी जरूरत से ज्यादा नहीं लेता, भविष्य की अति-चिंता नहीं करता।

समझ में नहीं आता, भिखारी वो हैं या हम ?